Saturday, October 25, 2008

राज की ताकत है हिंन्दीभाषी !

राज ठाकरे अपनी राजनीति को आगे बढाने के लिए चाहे जितनी हिंन्दीभाषीयों पर हमले करवाले पर सच यही है, उनकी असली ताकत मराठी भाई नहीं है। उनकी असली ताकत हिंन्दीभाषी हैं,इनके बिना राज विकलांग है,बोले तो हैन्डीकैप। खुद हिन्दी बोलने से परहेज करने वाले राज की आवाज को देश के कोने-कोने मे पहुँचाने के लिए मनसे ने जिस वागीश सारस्वत को प्रवक्ता नियुक्त किया है वो मूलतः अलीगढ़ के निवासी है। उनके परिवार के कुछ सदस्य आज भी दिल्ली के निकट वल्लभगढ मे रहते है।
राज ठाकरे जो विक्षिप्त की तरह आय-बाय बकते रहते है,और हर बार कानुन को निंबु की तरह निचोड देते है। वो किसके बल पर ? अपने कानुन के ठिकेदार,वकील अखिलेश चौबे के बल पर। जो एक उतरभारतीय है। वचाव के लिए सारी रणनीति इनके ही नेतृत्त्व मे तैयार की जाती है। राज के बिजनेस पार्टनर भी उनके सबसे भरोसेमंद गुप्ता जी है,जो हिंन्दीभाषी है।
इतना ही नहीं मराठी युवको को महाराष्ट्र मे रोजगार देने के लिए जो कंप्यूटर का कोर्स पिछ्ले महिने नासिक मे चलाया जा रहा था,उसमे मुख्य प्रशिक्षक एक हिंन्दीभाषी सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ सौरभ मिश्र हैं। यानी गुड़ खाए लेकिन गुलगुल्ले से परहेज। इसि को कहते है माल-महाजन का और मिर्ज़ा खेले होली……………बोलो जोगीरा सा रा रा रा ।