Wednesday, February 4, 2009

चैनल में रहना है ?होटल में मिलो !


नये चैनलो की बाढ़ आ गयी है। देश में एक नया चैनल आया है, एक नये भाषा में काफी हिट रहा है, यह भाषा। इससे प्रेरित होके इसी भाषा में एक नया चैनल आया है। वो काफी चल रहा है। इस नये चैनल में क्या गुल खिला यही बात आपलोगो को बता रहा हॅु। आप जानते है कि हम खुल के कोई बात नही कहते ।मन ही मन में आप खुदे समझ जाईयेगा। पर है मजेदार ।
अर्थशास्त्र में जरा कमजोर है। मंदी की मार क्या है खुदे समझ लिजिएगा क्या हो रहा है इस बहाने ये आप जानते है। खैर छटनी तो आप लोग जानते ही है।पर हम एक नया बात बता रहा हैं ं । इस बहाने क्या हो रहा है। हम ये भी नही बतायेगे कि होटल में सबको बुलाया जाता है। मिंटिग के बहाने और ये भी नही कहेगे कि लड़कियों को ही सिर्फ बुलाया गया था और ये भी नही बतायेगे कि दिल्ली के एक होटल में । खैर बहुते बता दिये।
पर एक बात जरूर बता देते है छापा पड़ा था उस होटल में । चैनल वाला मतलब कि एक बड़का अधिकारी पकड़ा गया था । पर कुछे समय में छुट गया था ये बताने कि जरूरत नही हैकि पैरबी था इसलिए ऐसा हुआ। अब बात साफ-साफ की रहना ,है तो होटल में मिलना पड़ेगा।
पर अब फैसला आपके हाथ में है। का इसब सही बात है। कहाॅ जा रहा है पत्रकारिता ?किसका अड्डा बनता जा रहा है। खैर पत्रकारिता एक ऐसा बच्चा है जो अभी अपने देश में अभी नवजात अवस्था में है। पर समय से पहिले ही जवान हो के खत्म होने के कागार पर है। चलते चलते एक बात कह देता हॅु घबराइये मत इ चैनलो को आप ही सबक सिखा सकते है!

अमितेश प्रसून