मेरा मकसद किसी को गाली देना नही है। लेकीन क्या करु जब भी कोई सिरियल बलास्ट होता है तो मरता तो आम आदमी ही है।लड़ाई किसी कि भी हो पिसता आम आदमी ही है।कल दिल्ली मे जो ब्लास्ट हुये उससे ये एक बार फिर सिद्ध हो गया की हमारी सरकार,बेकार है। चुल्लु भर पानी मे भी ये डुब मरने लायक नही है। पता नही
और कितने लोग मरेगे तब सरकार आतकवाद से भिड़ेगी।
बिहार मे एक कहावत है,बाप परेशान है बेटा से और देश परेशान है नेता से। जो बेचारे इस ब्लास्ट मे मारे गये उनकी सुध सरकार को नही है। सरकार सिर्फ़ अपना कोरम पुरा करने मे लगी है। हमेशा की तरह वही घोषणाएँ मरने वाले को पाँच लाख,घायलो को एक लाख फ़लाना, फ़लाना ।
आज के दैनिक जागरण मे जब मैने मनमोहन सिह का बयान पढा तो दग रह गया । उनहोने कहा है की "आतकवाद से लड़ाई मे किसी समुदाय को निशाना नही बनाया जाये"।ये बयान अपने आप मे कई अर्थ समेटे हुये है। इससे जनता मे असुरक्षा की भावना आती है। खैर मै तो लगभग चार साल से भुल चुका हु की हमारे देश मे प्रधानमंत्री भी एक पद है।
कभी कभी जो काम हम जिंदगी मे नही कर पाते है वो हमारी फ़िल्मो मे हो जाता है। फ़िल्म ए वेड्नस डे मे जो काम नसिरुदिन शाह ने किया है वो सही है,आखिर आम आदमी कब तक सहेगा । हद हो ग़ई कभी हम बरसात मे फ़सते है तो कभी बाढ मे कभी ब्लास्ट मे ……………………………॥कुछ तो शर्म करो हमारे आका।……………………………This whole bloody system is fold..
जिंदगी अब भी जिन्दा है ...
16 years ago
1 comment:
bahut khub. sachmuch sarakar ab aam aadami ke marane par muaabaja hi de sakati hai.bote bank kharab nahi hona chahiye.rambilas g ka simi par aaya bayan ke kuch hi din bad delhi damaka bahut kuch kah jata hai.
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