Friday, January 30, 2009

कृष्ण अब मान भी जाओं।

भगवान श्री कृष्ण वैंलेंटाइन डे पर पटना आना चाहतें है। पर उन्हें पटना के हालात के बारे में जानकारी नही हैै ।
जिद करने लगें है। मेंरे लाख समझाने के बाद भी मान नही रहे है उन्हें अभी भी धरती द्वापर युग जैसी लग रही है।
शायद उन्हें नही पता ये कलयुग है यहाॅ रास रचाने वालो के साथ क्या होता हैं ।

रास रचाये,लीला की तुने।
हठ भी की, जो जग जाहिर है।
बेमन से भी जो काम किया।
सबको वो भाया।
पनघट हो या फिर यमुना।
आशातीर सफलता पायी।
अब तु थम भी जा
अब ना करना ऐसा
वरना पकड़े जाओगे
मान भी जाना तु
वरना कोई और तुम्हे समझायेगा।
फिर ना कहना
क्युॅं न पहले बतलाया तु।
बेरहम है लोग यहाॅ
तुमको ना पहचानेगे।
जो रास रचाये थे द्वापर में
फिर ना दोहराना तु।
गर पकडे जाओगे
बहती गंगा मान तुम्हे
हर कोई कुछ कह जायेगा।
फिर ना कहना
पहले क्युॅ ना बतलाया तु।
मै मना नही करूगा आने से
वरना तू कुछ कह जायेगा।
थोड़ी तकलीफ लगेगी ।े
पर यही यहाॅ की रीत हैं ।
बहती गंगा में हाथ धोना
कलयुग की पहली सीख है।
तु अब भी है सुर-ताल में
ऐसे ना बहकेगी कोई बाला।
नासमझ कुछ तो समझ।
ना यहाॅ अब यमुना है ना पनघट
फिर यहाॅ ना कोई सुनने वाला।
बैठे रहजाओगे सदियों तक
ना आयेगी कोई बाला।
मै तो कहता हॅु तु आ ही मत
अब ये नही बचा है तेरे लायक
ना यहाॅ पर कोई ग्वाल बाला ना कोइ्र्र कंस मामा।
आयेगा तो पछतायेगा
क्योकिं यहाॅ ना चलने वाला तेरा
तेरे दिन वो लद गये
जब तू करता था चोरी
सच सच बतला देता हॅु तुझे
यहाॅ ना कोई ग्वाला
पकड़े गयेतो जाओगंे सिधे थाना।
नही चलेगी जहाॅ तेरी कोई लीला
वो दिन कुछ और था
जब चलते थे तेरे
यहाॅ करनी पडेगी थोड़ी जेब ढिला ।
तुमको मैं बतला दु
कितने पापड मैंने बेले
कितने घरो से ठोकर खायी
कई बार हुई जेले।
सुन भई तु आ मत
तेरे लायक नही ये जेलें ।
रोयेगा तु ना समझी को तो छोड़
कहता हूॅ अब तु मान भी जा
गर ना माने तु तो जायेगा जेल।
फिर ना कहना ये कलयुग का कैसा है खेल।
बाबु कृष्ण अब मान भी जा
आखिरी बार हॅु तुमको समझाता।
ये कलयुग है यहाॅ ना चलती कोई माया।
मान ले तु मंेरी विनती
ना कर तु ऐसी गलती।
तरूण ठाकुर

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