खबरो की दुनिया भी अपने आप मे खबर है । जितनी कही जाये उतनी ही कम है। और खबरो कि दुनिया में पहुचना शायद उतना ही मुश्किल । पहले वाली बात नही रहीं कुछ नही तो चलो पत्रकारिता ही सही । अब पत्रकारिता नही तो बाकि सही । पाॅच जोडी जुते घीस जायेगे पर इंर्टन पर भी नही बुलाया जायेगा। गर बुला भी लिया गया तो कुछ चुकाना होगा।अब तो पत्रकारो पर मैनेजमेंट हावी है। तो खक पत्रकारिता होगी या फिर जुगाड मैनेजमेंट वाले पहुच जायें ।सब जगह से वेरा गर्त होगा बेचारे हुनरमंद का।
जुते घिसते-घिसते जेब से परेशान हालत यहाॅ तक पहुच जाती जो घरवालो साहस देते थे वही कह देते है बाबु बहुत पैसा लगा दिये पर अब तो बस करो। कुछ कमाओ धमाओं ।बस यही सारे ख्वाब चकनाचुूर ।बेचारे की हालत पतली नजर उठाता है तो सिर्फ घुमती दुनिया नजर आती है।
कहते है चले थे कही को पहॅुच गये गुमानपुर । यहाॅ तो अपना साया भी नही है जिसे अपना कहा जाये । बडी मुद्वदत के बाद एक रहनुमा मिला। सिलसिला चला लगा ख्वाब में पर लग जायेगें। रहनुमा नेकह दिया कुछ दिन बाद आकर मिलों। काम हो जायेगा। एक आशा जगी मन मेंै । मन मे लाखो ख्वाब जो बुने गये थे लग रहा था पुरे हो जायेगे। कुछ दिन बाद जाकर मिला रहनुमा ने सालिट बहाना बनाया। बेचारे को बहाना तो मानना पडेगा दुसरा कोई चारा भी तो नही है । मन को तसल्लिदेत लौटना पडा। घर वाले जो आशा लगाये बैठे थे शाम होते होते उनका फोन घनघना उठा। बिन कोइ सवाल जबाब के यही सवाल हुआ क्या हुआ? भरे मन से लडके ने कह दिया बाद मे बुलाया है। बिना देर किए लडके के एक शुभचिंतक ने जले पर नमक छिडका-साला कहते थे सिधे बीए करो और जेनरल कामपिटिशलन में लग जाओ साला अपने को समझदार समझनेलगा था बाल धुप मे नही पके है अनुभव हैंसाले प्रोफेसनल र्कोश करलेगे तो नौकरी तो सौ प्रतिशत पक्की है अब उखा्रड रहे हो उखाडो । एक बार गाॅव में नजर घुमाके देख लो तुम से तो अच्छा तो सुरेंद्र का लडका है वो कहा दिल्ली जाकर पढा है तुम्हारी तरह । देखो नेभी मे होगया। पढाइ्र्र मे जी चुरानेका नतिजा तुम्हारे उपर है। और फोन कट।
अब काटो तो खुन नही । चारो तरफ सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा। दिल में एक धुंध उठता है और मन कहता है बेटा तुमसे तो अच्छा बिन पढा लिखा आदमी है जो मेहनत करके दाल रोटी चला लेता है। साला पढ लिखके ये छिछोरापन जो करना सुनना पडता है ये तो नही करना पडेगा। और उसका दिल टुट जाता है । हिम्मत जो बचाके रखा था वो भी खत्म । एक तो पहले ही ये पत्रकारिता के संस्थानो ने गला घोटा जो बचा वो घर वाले घोट रहे है। यार मर जाना ही बेहतर है ।
जरा इन से उबरकर होश संभालता है। तो आशा की किरण नजर आती है किसी दोस्त से खबर मिलती हैयार एक रिपुटेड चैनल में इंर्टन का जुगाड हांे जायेगा। पर एक प्रोब्लम है। तु आ बताता हॅु । बेचारा जिंदगी से निराश उसे क्या चाहिए और पहुॅच जाता है दोस्त के पास सुनता है शर्त । कठोर पर ये सत्य है मेरा भी जुगाड कुछ इसी तरह से हुंआ है। देख भाई आगे बढना है तो शर्त तो मानना होगा। क्या जा रहा है यही ना कि छह महीनेतक सैलरी मे से मात्र तीन हजार ही ना देने है अरे बेकार से बेगार भला। बडी मख्खन लगा कर दोस्त समझाता है।फिर अंत मे मानता है। एक बार पत्रकारिता का जो देवता उसके अंदर है उसे धिकारता है पर वह तत्काल इस पर ब्रेक लगाकर आगे कि सोचने लगता है। यार एक तो बेकारी छेल रहे थे अब मिला तो छोड दे।नही याार कर लेते है फिर देखेगे साले को मजा नही चखाए तो कहेगा । मैनेजमेंट और घटिया काम क्या समय आगया है। किताबो में क्या पढा और हो क्या रहा है। लगता है सारे सर लोग भी मैनेजमेंट वाले की तालु ही चाटते आये ह।ै कम से कम प्रैटिकल बाते बता दिया करते तो उनका क्या हो जाता र्। खैर जो हो गया सो हो गया ।
इ्रर्टन के लिए इ्रर्टभ्यु का होना है सो तैयारी तो करना ही होगा सो आज से ही लगना होगा नही तोये भी हाथ से चला जायेगा। और शुरू होता है फोन घुमाना । सब से बात किसके पास अनुभव है रिर्सच शुरू होता है। एक दोस्त कहता है अरे यार इसकी जरूरत नही है सब चलता है जब जुगाड ही लगाया है तो इ्रंटरभ्यु साला बेवकूफ है क्या रे ? कुछ नही पुछेगा । अरे जो बुलाया है उसी को तो लंेना है जा आराम से । अरे यार मेरे पास अनुभव है। जा जा।
आज खुशी का दिन रहता है क्योकि एक बुरा स्वप्न का अंत हेा गया। आज इ्रंर्टन पर हो गया । बाप रे बाप साला भगवान मिल गया। कल से आफिस जाना है। यार सेलेरी भी दस देगा ठीक ही है। छह महीना ही ना देना है तीन हजार से क्या जाता है । जो परेशानी है वो भी दुर हो जायेगा । सात हजार कम थोडे ही है। आगे देखा जायेगा । इस खुशी मे पार्टी भी हुई । दोस्तो ने जम कर ठुमका लगाया।यार अपने पुराने दोस्तो का भी हुआ है । सब साथ ही है । उसका भी अपनेसाथ ही हुआ है। अरे वही जो साथ पढती थी। क्या नाम है अरे वही। मजा आ जायेगा ।कैफेटेरिया मे बैठेगे। पर काम भी धासु करेगे । अपना काम बोलेगा। एडिटर सर काम के चलते हमे पहचानेगे ।इन्ही आशाओ के साथ ख्वाब मे पर लगाकर वो उडान भरने लगता है।
जिंदगी चल निकलती है काम बोलने लगता है। उसका पैठ जम जाता है । हर तरफ उसका सिक्का चल निकलता है। लोग कहने लगते है ये लडका एक दिन बहुत आगे जायेगा।तारिफ हर जगह। पर एकाएक ग्रहण लग गया । न जाने किसकी नजर लग गयी बेचारे पर।
आफिस राजनिति से तो बेचारेका दुर-दुर तक कोई रिश्ता नही था सो राजनिति केधुरंधरो ने उसे पछाड दिया। यहाॅ काम काम न आया। किसी ने उसके बगावत को किसी दुसरे के कान मे कह दी। खबर पहुच गयी उस आका के कानो तक । जिसने शर्त रखी थी छह महीने तक तीन हजार देनेके ।और साहब जादे वादेये से मुकर गये थे या फिर भूल बस उस लडकी से कह दिया कि अब क्या कर लेगा मैनेजर। और यही बात मैनेजर से कह दी । लडकी मैनेजर की विश्वास पात्र निकली।और लडका दगाबाज । यह वही लडकी थी जो कभी दगाबाज लडके के साथ गलबहिया डाले घुमती थी आज लउके के लिए खुद दगाबाज बन गयी।
एकाएक रात मे मैनेजर का फोन आता है कहता सौरी आप को हटाया जाता है । अब आपकी जरूरत नही है। कल से आने कि जरूरत नही है और फोन कट ।
लडकी आज ओहदेदार बन गयी है । काफी दबदबा है उसका । होगा भी क्योनही । ये तो आप सब जानते है । पर लडका कहा है ना मुझे मालुम है न घर वालो को । आपको पता चले जरूर बताइयेगा।
तरूण ठाकुर
जुते घिसते-घिसते जेब से परेशान हालत यहाॅ तक पहुच जाती जो घरवालो साहस देते थे वही कह देते है बाबु बहुत पैसा लगा दिये पर अब तो बस करो। कुछ कमाओ धमाओं ।बस यही सारे ख्वाब चकनाचुूर ।बेचारे की हालत पतली नजर उठाता है तो सिर्फ घुमती दुनिया नजर आती है।
कहते है चले थे कही को पहॅुच गये गुमानपुर । यहाॅ तो अपना साया भी नही है जिसे अपना कहा जाये । बडी मुद्वदत के बाद एक रहनुमा मिला। सिलसिला चला लगा ख्वाब में पर लग जायेगें। रहनुमा नेकह दिया कुछ दिन बाद आकर मिलों। काम हो जायेगा। एक आशा जगी मन मेंै । मन मे लाखो ख्वाब जो बुने गये थे लग रहा था पुरे हो जायेगे। कुछ दिन बाद जाकर मिला रहनुमा ने सालिट बहाना बनाया। बेचारे को बहाना तो मानना पडेगा दुसरा कोई चारा भी तो नही है । मन को तसल्लिदेत लौटना पडा। घर वाले जो आशा लगाये बैठे थे शाम होते होते उनका फोन घनघना उठा। बिन कोइ सवाल जबाब के यही सवाल हुआ क्या हुआ? भरे मन से लडके ने कह दिया बाद मे बुलाया है। बिना देर किए लडके के एक शुभचिंतक ने जले पर नमक छिडका-साला कहते थे सिधे बीए करो और जेनरल कामपिटिशलन में लग जाओ साला अपने को समझदार समझनेलगा था बाल धुप मे नही पके है अनुभव हैंसाले प्रोफेसनल र्कोश करलेगे तो नौकरी तो सौ प्रतिशत पक्की है अब उखा्रड रहे हो उखाडो । एक बार गाॅव में नजर घुमाके देख लो तुम से तो अच्छा तो सुरेंद्र का लडका है वो कहा दिल्ली जाकर पढा है तुम्हारी तरह । देखो नेभी मे होगया। पढाइ्र्र मे जी चुरानेका नतिजा तुम्हारे उपर है। और फोन कट।
अब काटो तो खुन नही । चारो तरफ सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा। दिल में एक धुंध उठता है और मन कहता है बेटा तुमसे तो अच्छा बिन पढा लिखा आदमी है जो मेहनत करके दाल रोटी चला लेता है। साला पढ लिखके ये छिछोरापन जो करना सुनना पडता है ये तो नही करना पडेगा। और उसका दिल टुट जाता है । हिम्मत जो बचाके रखा था वो भी खत्म । एक तो पहले ही ये पत्रकारिता के संस्थानो ने गला घोटा जो बचा वो घर वाले घोट रहे है। यार मर जाना ही बेहतर है ।
जरा इन से उबरकर होश संभालता है। तो आशा की किरण नजर आती है किसी दोस्त से खबर मिलती हैयार एक रिपुटेड चैनल में इंर्टन का जुगाड हांे जायेगा। पर एक प्रोब्लम है। तु आ बताता हॅु । बेचारा जिंदगी से निराश उसे क्या चाहिए और पहुॅच जाता है दोस्त के पास सुनता है शर्त । कठोर पर ये सत्य है मेरा भी जुगाड कुछ इसी तरह से हुंआ है। देख भाई आगे बढना है तो शर्त तो मानना होगा। क्या जा रहा है यही ना कि छह महीनेतक सैलरी मे से मात्र तीन हजार ही ना देने है अरे बेकार से बेगार भला। बडी मख्खन लगा कर दोस्त समझाता है।फिर अंत मे मानता है। एक बार पत्रकारिता का जो देवता उसके अंदर है उसे धिकारता है पर वह तत्काल इस पर ब्रेक लगाकर आगे कि सोचने लगता है। यार एक तो बेकारी छेल रहे थे अब मिला तो छोड दे।नही याार कर लेते है फिर देखेगे साले को मजा नही चखाए तो कहेगा । मैनेजमेंट और घटिया काम क्या समय आगया है। किताबो में क्या पढा और हो क्या रहा है। लगता है सारे सर लोग भी मैनेजमेंट वाले की तालु ही चाटते आये ह।ै कम से कम प्रैटिकल बाते बता दिया करते तो उनका क्या हो जाता र्। खैर जो हो गया सो हो गया ।
इ्रर्टन के लिए इ्रर्टभ्यु का होना है सो तैयारी तो करना ही होगा सो आज से ही लगना होगा नही तोये भी हाथ से चला जायेगा। और शुरू होता है फोन घुमाना । सब से बात किसके पास अनुभव है रिर्सच शुरू होता है। एक दोस्त कहता है अरे यार इसकी जरूरत नही है सब चलता है जब जुगाड ही लगाया है तो इ्रंटरभ्यु साला बेवकूफ है क्या रे ? कुछ नही पुछेगा । अरे जो बुलाया है उसी को तो लंेना है जा आराम से । अरे यार मेरे पास अनुभव है। जा जा।
आज खुशी का दिन रहता है क्योकि एक बुरा स्वप्न का अंत हेा गया। आज इ्रंर्टन पर हो गया । बाप रे बाप साला भगवान मिल गया। कल से आफिस जाना है। यार सेलेरी भी दस देगा ठीक ही है। छह महीना ही ना देना है तीन हजार से क्या जाता है । जो परेशानी है वो भी दुर हो जायेगा । सात हजार कम थोडे ही है। आगे देखा जायेगा । इस खुशी मे पार्टी भी हुई । दोस्तो ने जम कर ठुमका लगाया।यार अपने पुराने दोस्तो का भी हुआ है । सब साथ ही है । उसका भी अपनेसाथ ही हुआ है। अरे वही जो साथ पढती थी। क्या नाम है अरे वही। मजा आ जायेगा ।कैफेटेरिया मे बैठेगे। पर काम भी धासु करेगे । अपना काम बोलेगा। एडिटर सर काम के चलते हमे पहचानेगे ।इन्ही आशाओ के साथ ख्वाब मे पर लगाकर वो उडान भरने लगता है।
जिंदगी चल निकलती है काम बोलने लगता है। उसका पैठ जम जाता है । हर तरफ उसका सिक्का चल निकलता है। लोग कहने लगते है ये लडका एक दिन बहुत आगे जायेगा।तारिफ हर जगह। पर एकाएक ग्रहण लग गया । न जाने किसकी नजर लग गयी बेचारे पर।
आफिस राजनिति से तो बेचारेका दुर-दुर तक कोई रिश्ता नही था सो राजनिति केधुरंधरो ने उसे पछाड दिया। यहाॅ काम काम न आया। किसी ने उसके बगावत को किसी दुसरे के कान मे कह दी। खबर पहुच गयी उस आका के कानो तक । जिसने शर्त रखी थी छह महीने तक तीन हजार देनेके ।और साहब जादे वादेये से मुकर गये थे या फिर भूल बस उस लडकी से कह दिया कि अब क्या कर लेगा मैनेजर। और यही बात मैनेजर से कह दी । लडकी मैनेजर की विश्वास पात्र निकली।और लडका दगाबाज । यह वही लडकी थी जो कभी दगाबाज लडके के साथ गलबहिया डाले घुमती थी आज लउके के लिए खुद दगाबाज बन गयी।
एकाएक रात मे मैनेजर का फोन आता है कहता सौरी आप को हटाया जाता है । अब आपकी जरूरत नही है। कल से आने कि जरूरत नही है और फोन कट ।
लडकी आज ओहदेदार बन गयी है । काफी दबदबा है उसका । होगा भी क्योनही । ये तो आप सब जानते है । पर लडका कहा है ना मुझे मालुम है न घर वालो को । आपको पता चले जरूर बताइयेगा।
तरूण ठाकुर
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